चण्डीगढ- हरियाणा के स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत जोर दिया जा रहा है कि बच्चों को शुरूआती कक्षा में ही बुनियादी शिक्षा खेल-खेल में मिले, ताकि उनकी नींव मजबूत बने और भविष्य में दिक्कत न आए। हरियाणा के शिक्षा विभाग द्वारा इस पर जोर देते हुए तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके सुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री करनाल के डॉ. मंगल सैन आडिटोरियम में निपुण हरियाणा कार्यक्रम के तहत आयोजित राज्य स्तरीय जनभागीदारी सम्मेलन में बोल रहे थे।
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए श्री कंवर पाल ने कहा कि कुछ बच्चे बड़ी कक्षाओं में चले जाते हैं लेकिन उन्हें पढऩे में दिक्कत आती है। जो ज्ञान पहली, दूसरी व पांचवी कक्षा में ग्रहण कर लेना चाहिए था, वह ज्ञान बच्चे अर्जित नहीं कर पाते। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति के तहत भारत सरकार ने निपुण भारत कार्यक्रम चलाया है। इसके अंतर्गत गणित व हिंदी विषय पर जोर दिया गया है और खेल-खेल में बच्चों को सिखाने पर जोर दिया जा रहा है। हरियाणा ने इस निपुण कार्यक्रम में अंग्रेजी विषय को भी जोड़ा है। इसके तहत शिक्षक नए-नए रचनात्मक तरीकों से बच्चों को गणित, अंग्रेजी और हिंदी का ज्ञान देने पर जोर दे रहे हैं। इस पहल के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
रचनात्मक तरीके का ऐसा असर बच्चे आधे, पौणे तक के पहाड़े सुना रहे – स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि एक समय होता था कि जब बच्चे 2 से 20 तक के पहाड़े याद करते थे लेकिन अब शिक्षकों द्वारा रचनात्मक तरीके से बच्चों को शिक्षा देने की दिशा में काम शुरू किया है। इसका परिणाम यह है कि आज बच्चे आधे, पौणे तक के पहाड़े सुना रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने राज्य स्तरीय जनभागीदारी सम्मेलन में अलग-अलग जिलों के अध्यापकों द्वारा रचनात्मक तरीके से पढ़ाई करवाने को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों से उनके अलग-अलग मॉडल के बारे में जानकारी ली और शिक्षकों के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के मॉडल बनाना बेहत अच्छा है। इससे बच्चे जल्दी सीखेंगे। हमारे शिक्षक बहुत मेहनती हैं, आने वाले समय में इसके और अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
बच्चे का बेस कमजोर तो उस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता – शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि जो बच्चा पहली, दूसरी और पांचवी कक्षा में कमजोर रहता है, इससे उसका बेस कमजोर हो जाता है। बाद में उस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे में यदि छोटी कक्षा में वह सीख लेता है तो उसे भविष्य में आगे बढऩे में लाभ मिलता है। उसका बेस मजबूत होता है तो आगे दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता। इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा के निदेशक डॉ. अंशज सिंह सहित जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी मौजूद रहे।