नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चल सकता है शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले ही कांग्रेस को सवाल उठाने के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। संसद के शीतकालीन सत्र में गौतम अडानी से जुड़े नए मुद्दे को लेकर बहस छिड़ने के पूरे आसार हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल कारोबारी से जुड़े आरोपों और हाल ही में अमेरिकी अदालत में अभियोग के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, सत्ताधारी मोदी सरकार विपक्ष से मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर रही है। राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला न कर पीएम मोदी और गौतम अडानी के बीच घनिष्ठ संबंध का आरोप लगाया है और उनके रिश्ते को मोदानी करार दिया है।
विपक्ष ने अमेरिकी अदालत की रिपोर्ट का सहारा लिया है, जिसमें अडानी पर सौलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए राज्य बिजली वितरण कंपनियों (एसडीसी) को रिश्वत देने का आरोप लगा है। जवाब में भाजपा ने आरोपों की विश्वसनीयता को चुनौती दी है। बीजेपी ने विपक्ष की जवाबदेही पर सवाल उठाकर पलटवार किया है। छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश-जुलाई 2021 और फरवरी 2022 के बीच कथित रिश्वतखोरी की अवधि के दौरान विपक्षी दलों (बीजेडी, डीएमके, कांग्रेस और वाईएसआरसीपी) के शासन में थे। वहीं भाजपा ने विपक्ष पर निशाना साधकर पूछा है कि उनकी सरकारों ने राज्य एजेंसियों को कथित रिश्वत देने की अनुमति क्यों दी। भाजपा नेता इस दौरान कांग्रेस और उसके सहयोगियों से उनकी भूमिका पर जवाब मांग रहे हैं।
बीजेपी ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिकी अभियोग में केवल आरोप हैं, सिद्ध आरोप नहीं है। बीजेपी नेताओं ने भारतीय कंपनी पर हमला करने के लिए विदेशी रिपोर्ट पर विपक्ष के भरोसा करने पर चिंता जाहिर की है। बीजेपी का तर्क है कि अगर ये आरोप सच हैं, तब उन्हें भारतीय कानूनी ढांचे के अंदर संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने समानताएं बताकर कहा कि भारतीय अदालतें इसी तरह भारत में भ्रष्ट आचरण के लिए अमेरिकी कंपनियों पर अभियोग लगा सकती हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या विदेशी सरकारें अपनी घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप बर्दाश्त करेंगी।इतना ही नहीं भाजपा ने रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाया है। यह सुझाव देकर कि शीतकालीन सत्र से पहले सरकार को अस्थिर करने की राजनीतिक रूप से प्रेरित रणनीति का हिस्सा है।