नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने समुद्री आवाजाही के लिए जरूरी नियमावली बनाने से जुड़ी चर्चाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत एक ऐसी नियमावली के पक्ष में है जो पक्षपात रहित और तर्कसंगत अधिकारों के साथ उन देशों के भी हित में हो जो उक्त चर्चा का हिस्सा नहीं बने हैं। यह अंतरराष्ट्रीय कानून से पूरी तरह से मेल खानी चाहिए। इसमें खासतौर पर 1982 की संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी संघर्षों और चुनौतियों के बीच बौद्ध धर्म के शांति, अहिंसा और सह-अस्तित्व के सिद्धांत को सभी को स्वीकार करना चाहिए। मौजूदा समय में अलग-अलग खेमों में बटी हुई दुनिया के बीच यह काफी अहम है।
लाओस की राजधानी वियनतियाने में गुरुवार को आसियान और उसके संवाद भागीदारों के रक्षा मंत्रियों की 11वीं बैठक (एडीएमएम-प्लस) का आयोजन किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री आवाजाही की स्वतंत्रता, शांति और समृद्धि के लिए एक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पक्ष में खड़ा है। जटिल वैश्विक मुद्दों, सीमा विवादों का समाधान निकालने के लिए हमने हमेशा बातचीत का अभ्यास किया है। उन्होंने कहा कि हमें आपस में जुड़े हुए जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा खतरों के बीच गहरी समझ बनाने की आवश्यकता है।