नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो की सबसे पुरानी और पहली कॉरिडोर, रेड लाइन (रिठाला – दिलशाद गार्डन न्यू बस अड्डा गाजियाबाद) पर दौड़ने वाली मेट्रों ट्रेनों में से कुछ ट्रेनों में आखिरकार कोच की संख्या को बढ़ा दिया गया है। इस रूट पर दौड़ने वाली मेट्रो ट्रेनों के 36 फीसदी ट्रेनों में दो-दो अतिरिक्त कोच बढ़ा दिए गए हैं। जिससे बढ़े हुए कोच वाली ट्रेन अब छह की जगह आठ कोच की हो गई गई। इस कॉरिडोर पर अब आठ कोच की 14 मेट्रो ट्रेनें रफ्तार भर रही हैं। डीएमआरसी के अनुसार, अगले आठ महीने में रेड लाइन की शेष 25 ट्रेनों में भी दो अतिरिक्त कोच जुड़ जाएंगे। इसके बाद इस कॉरिडोर पर सभी मेट्रो ट्रेनें आठ कोच की हो जाएंगी।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने वर्ष 2018 में ब्लू, यलो और रेड लाइन के लिए 120 कोच खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। अप्रैल 2021 तक ये कोच खरीद भी लिए गए थे। ब्लू और यलो लाईन, दिल्ली मेट्रो के सबसे व्यस्त कॉरिडोर हैं। इसलिए सबसे पहले इन दोनों कॉरिडोर पर चलने वाली छह कोच की मेट्रो ट्रेनों को आठ कोच की ट्रेन में तब्दील किया गया। इसके तहत ब्लू लाइन की नौ ट्रेनों में 18 नए कोच इस्तेमाल किए गए। वहीं यलो इन की 12 मेट्रो ट्रेनों में 24 कोच इस्तेमाल किए गए। 34.55 किमी लंबी रेड लाइन भी मेट्रो के व्यस्त कारिडोर में से एक है। इस कॉरिडोर पर 39 मेट्रो ट्रेनों का परिचालन होता है। पहले यह सभी ट्रेनें छह कोच की थीं। इन ट्रेनों में कोच बढ़ाने की प्रक्रिया धीमी रही है। पिछले वर्ष नवंबर में इस कारिडोर की दो ट्रेनों में दो अतिरिक्त कोच जोड़ा गया था।
इसके बाद छह महीने में 12 अतिरिक्त ट्रेनों को आठ कोच में तब्दील किया जा सका है। इसलिए आठ कोच की कुल 14 ट्रेनें हो गई हैं। इस कॉरिडोर पर अभी छह कोच की 25 ट्रेनें रफ्तार भर रही हैं। इस से व्यस्त समय में यात्रियों को मेट्रो में भारी भीड़ का सामना करना पड़ता हैं। डीएमआरसी का कहना है कि मेट्रो में दो अतिरिक्त कोच जोड़कर उसे परिचालन के लिए तैयार करने में तकनीकी रूप से समय लगता है। मेट्रो का परिचालन देर रात तक होता है और सुबह छह बजे से पहले परिचालन भी शुरू हो जाता है। इसलिए रखरखाव व तकनीकी कार्य के लिए बहुत कम समय मिल पाता है। इस दौरान रखरखाव का कार्य प्रमुखता के आधार पर करना होता है। अगले वर्ष मार्च तक शेष 25 ट्रेनों को आठ कोच में तब्दील करने का लक्ष्य है।