नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने मांग की है कि राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत में चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु मौजूदा 25 से घटाकर 21 साल की जाए। उच्च सदन में बोलते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। हमारे देश की औसत आयु केवल 29 वर्ष है। देश की 65% आबादी 35 साल से कम उम्र की है। वहीं देश की 50% से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है। लेकिन क्या हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि भी इतने युवा हैं?
उन्होंने कहा कि जब इस देश में पहली लोकसभा (1952 में) चुनी गई थी, तो उस लोकसभा में 26% लोग 40 साल से कम उम्र के थे और 17वीं लोकसभा (16 जून को भंग) में केवल 12% 40 वर्ष से कम उम्र के थे। इसलिए जैसे-जैसे देश युवा हो रहा है, हमारे चुने हुए प्रतिनिधि युवावस्था से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम बूढ़े राजनेताओं वाला एक युवा देश हैं, जबकि हमें युवा राजनेताओं वाला एक युवा देश बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि राजनीति को एक बुरा पेशा माना जाता है। जब कोई बच्चा बड़ा होता है तो उसके माता-पिता उसे डॉक्टर, इंजीनियर, खिलाड़ी, वैज्ञानिक, चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के लिए कहते हैं। ‘कोई नहीं कहता कि बड़े होकर नेता बनो और राजनीति में जाओ। इसलिए मुझे लगता है कि आज हमें युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि वे भारत की मुख्यधारा की राजनीति में आ सकें। राघव चड्ढा ने कहा कि अभी इस देश में चुनाव लड़ने की उम्र 25 साल है। लेकिन लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए।
राघव चड्ढा ने सरकार से राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा, कि ‘मैं सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि अगर कोई 21 साल का युवा मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होना चाहता है और चुनाव लड़ना चाहता है तो उसकी उम्र 25 से घटाकर 21 साल कर दी जाए। उसे ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। जब देश का युवा 18 साल की उम्र में वोट देकर अपनी सरकार चुन सकता है, देश का भविष्य चुन सकता है तो 21 साल की उम्र में चुनाव तो लड़ ही सकता है।