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वायनाड में भूस्खलन से भारी तबाही: अब तक 150 की मौत, राहत एवं बचाव कार्य में तीनों सेनाएं जुटीं

वायनाड। बीते रोज वायनाड के पहाड़ी इलाकों में जबरदस्त भूस्खलन हुआ, जिसमें चार गांव बह गए। आपदा में 150 लोगों की मौत हो गई और 128 घायल हो गए, जिनमें कई गंभीर हैं। सेना के दो जेसीओ और 40 जवान बचावकार्यों में जुटे हुए हैं। वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर भी मदद के लिए भेजे गए हैं। केरल में मंगलवार और बुधवार को दो दिन का शोक घोषित किया गया। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया और मारे गए लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। बता दें कि केरल में पिछले छह वर्षों में यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है। अगस्त 2018 में आई बाढ़ में राज्य में 483 लोगों की मौत हो गई थी।

कई लोगों के लापता होने की आशंका है। इस बीच भारतीय मौसम विभाग ने केरल के सभी उत्तरी जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। अगले 24 घंटों के भीतर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग ने भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में भारी बारिश की आशंका जताई है। इससे बचावकार्य प्रभावित होने की चिंता बढ़ गई है। विभाग ने वायनाड समेत उसके पड़ोसी जिलों मलप्पुरम, कोझिकोड और कन्नूर के लिए मंगलवार को रेड अलर्ट जारी किया। अनुमान है कि इन इलाकों में अगले बीस घंटे के दौरान भारी बारिश हो सकती है। वहीं, राज्यभर में अगले सात दिनों तक रुक रुककर भारी बारिश का दौर जारी रहेगा। अधिकारियों ने बताया, भूस्खलन का यह दौर देर रात दो बजे शुरू हुआ। सुबह छह बजे तक भूस्खलन की तीन घटनाएं दर्ज हुईं, जिसकी चपेट में चार गांव आए। लोग सोए हुए थे, जिससे उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला। भूस्खलन के कारण कई मकान नष्ट हो गए, वाहन बह गए, जलाशयों में पानी भर गया और पेड़ उखड़ गए। प्रभावित इलाकों में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं। 34 मृतकों की पहचान कर ली गई है, जिनमें से 18 के शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं।

कोझिकोड जिले के विलंगाडु और मलयंगाडु इलाकों में भी मंगलवार को हुए भूस्खलन के बाद एक व्यक्ति लापता हो गया, कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और पुल व सड़कें बह गईं। अधिकारियों ने बताया, मलयंगाडु पुल के बह जाने से करीब 15 परिवार मुख्य क्षेत्र से कट गए हैं। नदी किनारे रहने वाले लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है और एनडीआरएफ टीम के नेतृत्व में बचाव अभियान जारी है। सूत्रों ने बताया, बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ से लोगों के अलग-अलग अंग बरामद हो रहे हैं। इसलिए त्रासदी में मारे गए लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल हो गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि जो अंग मिल रहे हैं, वे एक ही व्यक्ति के हैं या कई लोगों के हैं। मृतकों की पहचान के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है। मृतकों में कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

नौसेना के 30 गोताखोर मौजूद – एक अधिकारी ने बताया, 122 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) मद्रास की सेकेंड-इन-कमांड के नेतृत्व में 43 कर्मियों की टीम को बचावकार्य के लिए तैनात किया गया है। सेना का इंजीनियरिंग समूह भी प्रभावित इलाकों में पहुंच गया है। वायुसेना के एमआई-17 और ध्रुव हेलीकॉप्टर मदद के लिए भेजे गए हैं। नौसेना के 30 गोताखोर भी पहुंच चुके हैं। एझीमाला नौसैन्य अकादमी से नौसेना का एक दल भी बचाव प्रयासों में मदद करने के लिए वायनाड पहुंचेगा। प्रादेशिक सेना की एक बटालियन भी तैनात की जाएगी। एनडीआरएफ ने बचाव अभियान के लिए चार दल तैनात किए हैं। अधिकारी ने बताया, छह अधिकारियों के नेतृत्व में 67 डिफेंस सिक्योरिटी कोर (डीएससी) के कर्मी भी एम्बुलेंस और ट्रकों में सामान भरकर वायनाड पहुंच गए हैं। भारी मशीनों और खोजी कुत्तों की टीमों को हवाई मार्ग से पहुंचाया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से फोन पर बात कर भूस्खलन प्रभावित वायनाड में बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली।

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