अहमदाबाद। गुजरात के 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इन जजों की सूची में कांग्रेस नेता और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि केस में सजा सुनाने वाले जज हरीश वर्मा का भी नाम शामिल है। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने जजों को प्रमोशन दिया गया था। इसके बाद गुजरात सरकर ने इन जजों की नियुक्ति का आर्डर भी जारी किया था। प्रमोशन प्रक्रिया में कम अंकों वाले जजों के चयन पर गुजरात दो ज्यूडिशियल ऑफिसर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर हाईकोर्ट की तरफ से अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जाहिर की थी। मामले में 8 मई को आखिरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 को मई को अपने अंतरिम फैसले में सभी जजों के प्रमोशन पर रोक लगाने की घोषणा की थी।ऐसी कौन सी असाधारण हड़बड़ी थी कि राज्य सरकार पदोन्नति की अधिसूचना जारी करने के लिए 10 दिन इंतजार नहीं कर सकी? क्या आपका सचिव कानून से ऊपर है? यह और कुछ नहीं बल्कि इस अदालत और वर्तमान कार्यवाही को खत्म करने का प्रयास है। हम मामले को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। हम किसी का भी करियर खत्म कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया को कभी भी ओवररीच करने की कोशिश न करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गुजरात हाई कोर्ट और राज्य सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार ने याचिका के लंबित रहने दौरान जजों के ट्रांसफर को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। इसके बाद अदालत ने नोटिस जारी की। हम हाई कोर्ट की प्रमोशन की सिफारिश और सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है जजों का पदोन्नति मैरिट और वरिष्टता के सिद्वांत के साथ परीक्षा को पास करने पर होनी चाहिए।
जस्टिस शाह ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट और सरकार नोटिफिकेशन गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा यह अंतरिम आदेश है। जस्टिस शाह 15 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की तरफ से जो जज नामित करते हैं, वे आगे इस मामले की सुनवाई करने वाले हैं। 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद अब नए सिरे जजों का चयन किया जाएगा। इसके बाद जजों के प्रमोशन और नियुक्ति अब आमान्य मानी जाएगी। अब देखना होगा कि हाई कोर्ट जब फिर जजों की सूची बनाएगा, तब किस नियम से सूची तैयार होती है।