चण्डीगढ़- भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के निमंत्रण पर हरियाणा के हिसार से आए किसानों ने नईं दिल्ली नए संसद भवन का भ्रमण किया और उपराष्ट्रपति से मुलाकात की। ज्ञात रहे कि उपराष्ट्रपति ने पिछले महीने 26 दिसंबर को हिसार स्थित आईसीएआर- केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान का दौरा किया था। तब धनखड़ ने वहां उपस्थित किसानों से मुलाकात की थी और उन्हें दिल्ली आकर नया संसद भवन देखने को आमंत्रित किया था।
उपराष्ट्रपति के निमंत्रण पर केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक किसानों के साथ दिल्ली पहुंचे जहां उन्हें संसद भवन का गाइडेड टूर कराया गया। उपराष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सभी किसानों ने संसद भवन में लंच किया। इसके बाद वे उपराष्ट्रपति निवास पर पहुंचे जहां किसान भाई बहनों का स्वागत सत्कार (डॉ) सुदेश धनखड़ द्वारा किया गया। इनमें जेवरा, बाडोपटी, धिकताना, बीड बबरान, सरसोद, बालक, बिछपडी और भाटोल जटान आदि गांवों के 40 किसान व 10 महिला किसान भी थीं।
उपराष्ट्रपति निवास पर हरियाणा की उत्साही महिला किसानों ने स्वरचित लोकगीत गाया। उपराष्ट्रपति भी लोकगीत की धुन पर स्वयं को थिरकने से न रोक सके।उपराष्ट्रपति ने किसानों से कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार कृषि उत्पादन का है। गेहूं, बाजरा, चावल, दाल, सब्जी, दूध सब कृषि का है और किसान इनको पैदा करता है और पसीना बहाकर मेहनत करता है। उन्होंने कहा कि केवल खेती नहीं, बल्कि कृषि उत्पादों के व्यापार में भी किसानों को दिलचस्पी लेनी चाहिए। धनखड़ ने कहा कि किसान की मंडी के अंदर दुकान भी होनी चाहिए और किसान के बच्चों को व्यापार में पड़ना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि छोरा पढ़ लिखकर यह व्यापार क्यों करें? उसे तो नौकरी करनी चाहिए। व्यापार में बहुत दम है। यह संकल्प ले लेना चाहिए कि अपने बच्चे पढ़ लिख के और भी काम करें पर कृषि के उत्पादन से व्यापार जरूर करें। धनखड़ ने कहा कि किसान को अपने उत्पादन में वैल्यू ऐड करनी चाहिए। दूध का पनीर, और सरसों का तेल निकालकर बेचना चाहिए।
महिला किसानों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं बचा है। जो थोड़ा एक फर्क है यह है कि छोरी थोड़ी ज्यादा आगे पहुंच गई है। हरियाणा के अखाड़ों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि हमारे अखाड़े गुरुकुल जैसे हैं। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा – अखाड़े में जाने से बच्चों के बिल्कुल बुरी आदत नहीं आती है।धनखड़ ने किसानों से अपील की कि गांव में भाईचारा बढ़ाओ। समाज को जाति में बांटने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि शरीर का हर एक अंग जरूरी है, कहीं भी थोड़ी चोट लग जाए तो दिमाग विचलित हो जाता है सीने में दर्द होता है पूरी परेशानी हो जाती है। तो समाज को कोई बांट नहीं सका है, समाज एक है, और यही आज देश की परंपरा है।