नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या की पत्नी उमा की याचिका पर नीतिश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें बिहार के राजनेता आनंद मोहन सिंह की जेल से समयपूर्व रिहाई को चुनौती दी गई थी। नीतिश सरकार द्वारा हाल ही में उनके सहित 27 दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले जेल नियमों में संशोधन के बाद सिंह की रिहाई को जेल की सजा में छूट के आदेश के तहत अनुमति दी गई थी।
आनंद 1994 में मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस के दौरान तत्कालीन गोपालगंज कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या में कथित भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। इस मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले 15 साल से जेल में बंद आनंद 27 अप्रैल को जेल से बाहर आए।
बता दें कि नीतिश सरकार पर 10 अप्रैल 2023 को मोहन की रिहाई की सुविधा के लिए नियम 481 में बदलाव कर जेल नियमावली, 2012 में बदलाव करने के आरोप लगे हैं। बिहार सरकार की आधिकारिक अधिसूचना ने 26 अन्य कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्होंने 14 से 20 साल के बीच जेल में सेवा की थी।
पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने के नीतिश सरकार के फैसले पर नाराजगी जताकर मारे गए आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा था कि राजनीतिक कारणों से इसतरह के निर्णय नहीं लिए जाने चाहिए और राजनीति में अपराधियों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बिहार के मुख्यमंत्री का बेहद गलत फैसला है।