कुरुक्षेत्र : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणा पैवेलियन में हरियाणा के लोकगीतों एवं रागनियों से दर्शकों को सरोबार किया जा रहा है। हरियाणा की लोक सांस्कृतिक परम्परा का निर्वहन करते हुए युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से हरियाणवी महिलाएं लोक परिधान में हरियाणा के जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत सोलह संस्कारों के गीत गाकर दर्शकों को लोक संस्कृति के प्रति जागरूक कर रही हैं। इसके साथ ही जोगिया पार्टी भी लोक पारम्परिक रागनियों के माध्यम से दर्शकों को हरियाणवी संस्कृति से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में स्थापित हरियाणा पैवेलियन ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपनी विशेष पहचान बनाई है। इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए हरियाणा पवेलियन के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने बताया कि हरियाणा पवेलियन हरियाणा के दर्शकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां पर सुबह ही दर्शकों का तांता लगना शुरू हो जाता है। शाम को 6 बजे तक दर्शकों की पूरी भीड़ देखने को मिलती है। हिसार से पहुंचा कमलेश मोर गु्रप हरियाणवी संस्कृति की छटा को निखारने में गीतों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने बताया कि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत सभी संस्कारों के गीत गाकर महिलाएं युवा पीढ़ी को जागरूक कर रही है।
हरियाणवी महिलाएं इन गीतों के अतिरिक्त पर्यावरण के गीत, विवाह के गीत, सांझी के गीत तथा किसानी संस्कृति से जुड़े हुए गीतों के माध्यम से दर्शकों को हरियाणवी संस्कृति से रूबरू करवा रही है। डॉ. पूनिया ने बताया कि हरिकेश की जोगिया पार्टी भी आल्हा, उदल के किस्सों के साथ-साथ हीर-रांझा के किस्से तथा फुटकर रागनियां गाकर युवाओं को लोक संस्कृति से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने बताया कि विकास सातरोड ने ओढणा सिमवाले तेरा पल्ला लटकै रागनी गाकर सबका मन मोह लिया। उधर बाबा धूणीनाथ अपनी लोक पारम्पकिर रागनियों के माध्यम से सबको अभिभूत कर रहे हैं। डॉ. पूनिया ने बताया कि युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से आयोजित हरियाणा पैवेलियन गीता जयंती में पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।