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ब्रह्मसरोवर के घाटों पर नजर आए विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति के अलग-अलग रंग

चंडीगढ़ – अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे है। इन राज्यों के कलाकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर 24 दिसंबर तक लोगों को अपने-अपने प्रदेशों की लोक कला के साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे। इस महोत्सव पर आने के लिए देश का प्रत्येक कलाकार आतुर रहता है। पर्यटकों को फिर से ब्रह्मसरोवर के तट पर लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिला है।एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (एनजेडसीसी) की तरफ से विभिन्न राज्यों के कलाकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच चुके हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर विभिन्न राज्यों की कला के संगम के बीच कलाकारों ने अपने-अपने राज्य की कला का बखूबी बखान किया। आज के आधुनिक युग में भी उन्होंने अपनी कला को जिंदा रखा है और इसी के माध्यम से ही आज वह भी जिंदा है और अपनी कला को विदेशों तक पहुंचा रहे है। विदेशों की धरती पर भी उनकी कला ने उनका नाम रोशन किया है। गीता महोत्सव में पहुंचे कलाकारों का कहना था कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव एक ऐसा जरिया है जहां पर पहुंचकर वह अपनी कला का बखूबी मंचन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि महोत्सव में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के कलाकार लोक नृत्य के माध्यम से अपने-अपने प्रदेशों की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने का काम कर रहे हैं।

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