नई दिल्ली : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी से राज्य से अनाज (चावल और गेहूं) की ढुलाई में तेजी लाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की, ताकि आने वाले समय में अनाज की सुचारू और परेशानी मुक्त खरीद और भंडारण सुनिश्चित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने जोशी से उनकी निवास पर मुलाकात की और बताया कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले रबी मार्किटिंग सीजन 2025-26 के दौरान राज्य द्वारा 124 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पिछले फसल सीजन की लगभग 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं भी राज्य में स्टॉक में है, जिसके कारण राज्य को लगभग 129 लाख मीट्रिक टन गेहूं के भंडारण की व्यवस्था करनी पड़ रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि भंडारण के लिए जगह की भारी कमी है और एजेंसियों के पास उपलब्ध अधिकांश ढकी हुई जगह चावल के भंडारण के लिए उपयोग की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भंडारण के लिए जगह की कमी से निपटने के लिए कम से कम 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सीधी डिलीवरी के लिए विशेष ट्रेनों की आवश्यकता होगी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से हस्तक्षेप करने के लिए कहा ताकि गेहूं को विशेष ट्रेनों के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर बाहर भेजा जा सके। भगवंत सिंह मान ने कहा कि चावल के लिए जगह की कमी के कारण एफसीआई द्वारा अब तक केवल 45 प्रतिशत चावल ही लिया गया है, जबकि मिलिंग की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 है।मुख्यमंत्री ने प्रह्लाद जोशी से स्थिति से निपटने के लिए मिलिंग की तारीख बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज तक एफसीआई के पास 7.50 लाख मीट्रिक टन चावल की जगह उपलब्ध है, जबकि कुल 71.50 लाख मीट्रिक टन चावल की डिलीवरी अभी बाकी है। भगवंत मान ने अपील की कि खरीफ सत्र 2024-25 के चावल की मिलिंग को समय पर पूरा करने के लिए एफसीआई द्वारा राज्य से चावल की अधिकतम ढुलाई की अनुमति दी जाए।
साइलोज पर गेहूं की खरीद के लिए आढ़तियों के कमीशन में कटौती का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आढ़तियों के कमीशन को अन्य मंडियों के बराबर करने के मामले पर डी.एफ.पी.डी., भारत सरकार के साथ विभिन्न बैठकोंमें चर्चा की गई थी और यह भी बताया गया था कि यदि आढ़तियों को साइलो से खरीद के लिए कमीशन नियमित मंडियों के बराबर दिया जाता है, तो मंडी श्रम और परिवहन खर्चों के मामले में बचत होगी। इसलिए उन्होंने अनुरोध किया कि साइलो में आढ़तियों के कमीशन को सामान्य खरीद के बराबर करने की अनुमति दी जाए ताकि साइलो से सीधी खरीद की सुविधा मिल सके। भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि आढ़ती साइलो में मंडी के कामकाज की तरह ही
काम कर रहे हैं।
अस्थायी लागत शीट में आढ़तियों के कमीशन पर प्रतिबंध की सीमा के मुद्दे को उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आढ़तियों का कमीशन रबी सीजन 2020-21 के पी.सी.एस. में गेहूं के लिए 46.00 रुपए/क्विंटल और खरीफ सीजन 2019-20
के पी.सी.एस. में धान के लिए 45.88 रुपए/क्विंटल तक सीमित था, तब से यही दर चल रही है और भारत सरकार द्वारा राज्य को प्रत्येक लागत शीट में धान और गेहूं की खरीद इसी दर पर करने की अनुमति दी जाती है। उन्होंने कहा किपंजाब कृषि उत्पाद मार्किटिंग अधिनियम, 1961 और इसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (यानी खरीफ सत्र 2025-26 के लिए 2425 रुपए) पर 2.5 प्रतिशत आढ़तिया कमीशन का प्रावधान है, जो आगामी रबी सीजन में 60.63 रुपए/क्विंटल बनता है, लेकिन आढ़तिया कमीशन का भुगतान भारत सरकार द्वारा किया जाता है और अब तक इस दर को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा आढ़तियों के कमीशन पर प्रतिबंध लगाने के कारण पिछले खरीफ मार्किटिंग सीजन 2024-25 में आढ़तियों ने अपनी मांग पूरी न होने के कारण हड़ताल की थी, जिसके कारण सीजन के दौरान खरीद कार्य
प्रभावित हुए थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यदि इस मुद्दे को हल नहीं किया गया तो आढ़ती फिर से हड़ताल कर सकते हैं, जिससे आगामी रबी सीजन 2025-26 के दौरान गेहूं की खरीद प्रभावित होगी। एक अन्य मुद्दे पर बात करते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को आर डी एफ के राज्य के बकाया हिस्से को तुरंत जारी करना चाहिए। उन्होंने
कहा कि पंजाब सरकार ने इस लिए आवश्यक शर्तों पहले ही पूरी कर दी हैं और अब समय आ गया है कि केंद्र यह पैसा जारी करे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य भिखारी नहीं है और उनको तंग करने की बजाय केंद्र द्वारा उनके फंडों
का जायज हिस्सा दिया जाना चाहिए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने भगवंत सिंह मान को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।