चंडीगढ़ : पंजाब के कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा कि राज्य में माइनिंग और क्रशर उद्योग को नियमित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पंजाब सरकार ने “द पंजाब रेगुलेशन ऑफ क्रशर यूनिट्स एंड स्टॉकिस्ट्स एंड रिटेलर्स बिल 2025” पेश किया है ताकि लंबे समय से अनियमित प्रथाओं और भ्रष्टाचार से प्रभावित इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर नियमन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। अमन अरोड़ा और खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल यहां पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
बजट सत्र के दौरान पंजाब विधानसभा द्वारा पारित इस क्रांतिकारी अधिनियम की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कैबिनेट मंत्री श्री अरोड़ा ने कहा कि इस अधिनियम के तहत माइनिंग सेक्टर को नियमित करने के लिए सभी क्रशर यूनिटों, स्टॉकिस्टों और रिटेलरों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि नए नियमों के तहत माइनिंग इकोसिस्टम की प्रत्येक इकाई का पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिससे जवाबदेही रहित और अनियमित कार्यों का युग समाप्त हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक पंजीकृत इकाई को मासिक रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा, जिसमें गैर-अनुपालन या गलत रिपोर्टिंग पर कड़े जुर्माने लगाए जाएंगे।
अरोड़ा ने कहा कि इस अधिनियम के तहत एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मजबूत डिजिटल निगरानी भी की जाएगी और खुदाई से लेकर परिवहन तक माइनिंग गतिविधियों के हर पहलू को ट्रैक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पारदर्शी प्रणाली अवैध खनन और पर्यावरणीय क्षति से जुड़ी ऐतिहासिक चुनौतियों को समाप्त करेगी।पत्रकारों को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि इस कानून में क्रशर और माइनिंग गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए एक पर्यावरण प्रबंधन कोष स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार की माइनिंग क्षेत्र को गलत प्रथाओं से मुक्त करने की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए श्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि इस अधिनियम में कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं, जिनमें भारी जुर्माने से लेकर लाइसेंस निलंबित करने, यूनिट सील करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ संभावित आपराधिक कार्रवाई तक शामिल हैं। कैबिनेट मंत्रियों ने जोर देकर कहा कि यह कानून दंडात्मक नहीं, बल्कि सुधारात्मक है और माइनिंग सेक्टर को गलत प्रथाओं से मुक्त कर इसे एक अनुकूल व्यावसायिक माहौल वाले क्षेत्र में बदलने के लिए लाया गया है।
उन्होंने बताया कि इस नए कानून के तहत यह अनिवार्य किया गया है कि लगातार दो महीनों तक रिटर्न फाइल न करने वाली इकाइयों के लाइसेंस निलंबित कर दिए जाएंगे और तीन महीने तक अनुपालन न करने की स्थिति में उन्हें समाप्त कर दिया जाएगा। कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि यह प्रावधान माइनिंग इकोसिस्टम में सभी भागीदारों की सक्रिय भागीदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान की सरकार की यह पहल पारदर्शी शासन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जिसका उद्देश्य माइनिंग क्षेत्र में लंबे समय से जारी गलत गतिविधियों को योजनाबद्ध तरीके से समाप्त करते हुए पर्यावरण और ईमानदार व्यापारियों के हितों की रक्षा करना है।